LPG की कीमत में बढ़ोतरी (LPG Price Hike) : आजकल महंगाई हर किसी की जेब पर भारी पड़ रही है। अब एलपीजी सिलेंडर के दामों में फिर से बढ़ोतरी हुई है, जिससे आम आदमी की रसोई का बजट और बिगड़ सकता है। 1 अप्रैल 2024 से घरेलू और कमर्शियल दोनों तरह के गैस सिलेंडरों के दामों में इजाफा हुआ है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि नई कीमतें क्या हैं, क्यों दाम बढ़ रहे हैं और इसका आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा।
LPG Price Hike : 1 अप्रैल 2024 से एलपीजी गैस के नए दाम
सरकारी तेल कंपनियों ने 1 अप्रैल से एलपीजी गैस के दामों में बदलाव किया है। नीचे दी गई तालिका में आपको विभिन्न शहरों में घरेलू एलपीजी सिलेंडर के ताजा रेट मिलेंगे।
शहर का नाम | 14.2 किलो घरेलू सिलेंडर (₹) | 19 किलो कमर्शियल सिलेंडर (₹) |
---|---|---|
दिल्ली | 1,103 | 1,976 |
मुंबई | 1,102 | 1,928 |
कोलकाता | 1,129 | 2,089 |
चेन्नई | 1,118 | 2,141 |
लखनऊ | 1,125 | 2,005 |
पटना | 1,140 | 2,152 |
जयपुर | 1,122 | 1,994 |
महत्वपूर्ण बात: कमर्शियल सिलेंडरों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है, जिससे होटल और ढाबों पर भी खाने के दाम बढ़ सकते हैं।
LPG की कीमत में बढ़ोतरी : एलपीजी के दाम क्यों बढ़ रहे हैं?
गैस सिलेंडर के दाम कई कारणों से प्रभावित होते हैं। कुछ मुख्य वजहें निम्नलिखित हैं:
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी – जब कच्चे तेल के दाम बढ़ते हैं तो गैस की कीमत भी बढ़ जाती है।
- डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी – गैस आयात करने के लिए भारत को डॉलर में भुगतान करना पड़ता है, और यदि रुपया कमजोर होता है तो इसका असर गैस के दामों पर पड़ता है।
- सरकारी सब्सिडी में कमी – सरकार यदि सब्सिडी कम कर देती है, तो आम उपभोक्ता को पूरी कीमत चुकानी पड़ती है।
- लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन लागत – पेट्रोलियम उत्पादों की ढुलाई में लगने वाले खर्चों में बढ़ोतरी का असर भी गैस सिलेंडर की कीमतों पर पड़ता है।
एलपीजी गैस की बढ़ती कीमतों का आम आदमी पर असर
गैस सिलेंडर की कीमतें बढ़ने से आम जनता की रोजमर्रा की जिंदगी पर सीधा असर पड़ता है। आइए कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर डालें:
1. घरेलू बजट पर असर
अब एक आम परिवार को हर महीने गैस सिलेंडर के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। पहले जो सिलेंडर ₹900 में आता था, अब वही सिलेंडर ₹1100 के पार जा चुका है। ऐसे में, लोगों को अपने खर्चों को संतुलित करने में दिक्कत आ सकती है।
2. होटल और रेस्टोरेंट में खाना महंगा
कमर्शियल एलपीजी की कीमतें बढ़ने से होटल और रेस्तरां में खाना महंगा हो सकता है। जिन ढाबों और छोटे खाने-पीने के ठिकानों पर पहले ₹50 में एक थाली मिलती थी, अब शायद वही थाली ₹60-₹70 की हो जाए।
3. उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों पर असर
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया था। लेकिन सिलेंडर की कीमत बढ़ने से अब ये परिवार दोबारा लकड़ी या कोयले पर निर्भर हो सकते हैं, क्योंकि इतनी महंगी गैस खरीद पाना उनके लिए मुश्किल हो सकता है।
और देखो : सिर्फ ₹50,000 इन्वेस्ट कर बनाएं ₹13 लाख का मजबूत फंड!
महंगे एलपीजी से बचने के कुछ उपाय
गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों से बचने के लिए आप कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैं:
- इंडक्शन या सौर ऊर्जा का उपयोग करें – यदि संभव हो तो इंडक्शन चूल्हे या सौर कुकर का इस्तेमाल करें।
- एलपीजी की खपत कम करें – छोटे-छोटे बदलाव जैसे खाना धीमी आंच पर पकाना और कुकर का ज्यादा इस्तेमाल करने से गैस की बचत हो सकती है।
- सरकारी योजनाओं की जानकारी लें – कुछ राज्यों में सस्ते एलपीजी सिलेंडर देने की योजना चल रही है, उसके बारे में जानकारी लेकर लाभ उठाएं।
- गैस एजेंसी से कस्टमर स्कीम के बारे में पूछें – कई बार गैस एजेंसियां ऑफर निकालती हैं, जिससे थोड़ी राहत मिल सकती है।
सरकार से क्या उम्मीद की जा रही है?
देशभर में आम जनता को राहत देने के लिए सरकार से कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है:
- सब्सिडी बढ़ाई जाए – सरकार यदि एलपीजी पर सब्सिडी बढ़ा देती है तो आम जनता को राहत मिल सकती है।
- गैस के अन्य विकल्पों को बढ़ावा दिया जाए – बायोगैस और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने से एलपीजी की मांग को कम किया जा सकता है।
- कीमतों को स्थिर रखने की नीति बनाई जाए – सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे गैस की कीमतों में बार-बार बदलाव न हो।
एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी ने आम आदमी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह सिर्फ घरेलू बजट पर ही नहीं बल्कि रेस्तरां, ढाबों और छोटे व्यवसायों पर भी असर डालता है। हालांकि, हम कुछ उपाय अपनाकर गैस की खपत को कम कर सकते हैं, लेकिन सरकार को भी इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है। अगर महंगाई इसी तरह बढ़ती रही, तो लोगों के लिए रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना और भी मुश्किल हो जाएगा।
इसलिए, जरूरी है कि हम अपनी गैस खपत को समझदारी से प्रबंधित करें और जरूरत पड़ने पर सरकार से उचित कदम उठाने की मांग करें।